BRICS Vs G7: BRICS

अब कौन बड़ा? भारत ने बदला सारा खेल, जानिए चीन के इरादे कैसे हुए पस्त

Last Updated: July 04 2025 04:34:11 PM

BRICS Vs G7: BRICS के विस्तार ने G7 को चुनौती दी है. चीन के दबदबे के बीच भारत संतुलनकारी शक्ति बनकर उभरा है. नई वैश्विक व्यवस्था में भारत की भूमिका अहम होती जा रही है.

अब कौन बड़ा भारत ने बदला सारा खेल जानिए चीन के इरादे कैसे हुए पस्त

BRICS Vs G7: बीजिंग से ब्राजील और दिल्ली से जोहान्सबर्ग तक फैले BRICSसंगठन ने अपनी सदस्यता 4 से बढ़ाकर 11 कर ली है. यह सिर्फ संख्या नहीं है बल्कि उस नई वैश्विक ताकत का प्रतीक है जो अमेरिका और यूरोप-केन्द्रित वैश्विक व्यवस्था को चुनौती दे रही है. लेकिन यह विस्तार जितना अवसरों से भरा है उतना ही यह संकटों और संघर्षों से भी घिरा है. और इन सबके बीच भारत एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में उभरा है.
साल 2001 में गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने पहली बार “BRIC” शब्द दिया. यह शब्द ब्राजील, रूस, भारत और चीन के लिए था. तब से इस संगठन का मकसद था विकासशील देशों को आर्थिक मंच देना और पश्चिमी देशों के दबदबे वाले IMF और वर्ल्ड बैंक के विकल्प खड़ा करना. साल 2010 में दक्षिण अफ्रीका जुड़ा और 2024 में नए सदस्य देशों के साथ यह “BRICS+” बन गया.

कैसे बड़ा बना BRICS?
इस संगठन ने 2015 में न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) लॉन्च किया. यह एक ऐसा बैंक जो विकासशील देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रोजेक्ट्स को फंड करता है. अब इसमें चीन-रूस के सहयोग से नई टेक्नोलॉजी, ग्रेन एक्सचेंज जैसे मंच भी आ गए हैं.

क्या BRICS वाकई स्वतंत्र है या चीन का औजार?
अब संकट यही है. आलोचकों का मानना है कि चीन अमेरिका के खिलाफ आर्थिक जंग के लिए इस संगठन को अपने हितों के लिए इस्तेमाल कर रहा है. रूस जो पहले ही चीन के साथ CRINK (चीन, रूस, ईरान, नॉर्थ कोरिया) जैसे गठजोड़ में है उसे समर्थन दे रहा है.

वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि BRICS अगर डॉलर को हटाकर अपनी करेंसी लाएगा, तो वे 100% टैरिफ लगा देंगे. अमेरिका और पश्चिम को यह संगठन अब एक “एंटी-वेस्ट” फ्रंट लगता है.भारत की भूमिका: नए BRICS में पुराना संतुलन
भारत जो BRICS का संस्थापक सदस्य है इस संगठन को “विकासशील देशों की आवाज” मानता है न कि अमेरिका-विरोधी मंच. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कहा कि डॉलर वैश्विक स्थिरता का आधार है और भारत इसे हटाने का कोई प्रयास नहीं कर रहा.

भारत ने NDB को भी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा बनने से रोका है. चीन अगर दबदबा बढ़ा रहा है तो भारत भी शांति से अपनी जगह बना रहा है. और वह इस बात को सुनिश्चित कर रहा है कि BRICS सिर्फ एक “चाइनीज क्लब” न बन जाए.

आगे क्या?
भारत की मौजूदगी BRICS को विश्वसनीयता देती है. चीन की चुनौती जितनी बड़ी है उतनी ही अहम है भारत की भूमिका. यह न केवल भारत की कूटनीतिक पकड़ की परीक्षा है, बल्कि एक ऐसे नए वर्ल्ड ऑर्डर की नींव भी जिसमें भारत न तो पश्चिम के सामने झुकेगा और न ही चीन के पीछे चलेगा.