पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी जंग तेज होती जा रही है. नेताओं के बीच बयानबाजी भी खूब हो रही है. कुछ दिन पहले डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने जन सुराज पार्टी को “दिलजले लोगों की पार्टी” बताया था. उन्होंने कहा था कि जिन लोगों को कहीं जगह नहीं मिलती, उन्हें प्रशांत किशोर अपनी पार्टी में बुला लेते हैं. अब इस बयान पर जन सुराज पार्टी की ओर से प्रतिक्रिया आई है. न्यूज 18 से खास बातचीत में पार्टी के नेता ने कहा कि सम्राट चौधरी खुद उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन बिहार के आधे से ज्यादा इलाकों में लोग उन्हें पहचानते तक नहीं. .
प्रशांत किशोर ने आगे कहा, “अगर हमारी पार्टी को दिलजले लोगों की पार्टी कहा जा रहा है, तो हां, हमारा दिल जला हुआ है. क्योंकि हम देख रहे हैं कि बिहार के बच्चे आज मजदूरी के लिए गुजरात जा रहे हैं. हमारे जैसे पढ़े-लिखे लोग यहां होते हुए भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. हमारे पास क्षमता है, लेकिन हालात बहुत खराब हैं. बिहार आज देश का सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य बना हुआ है. दूसरे राज्यों में हमें ‘बिहारी’ कहकर नीचा दिखाया जाता है. इसलिए हमारा दिल जल रहा है. हमारी पार्टी उन लोगों की पार्टी है, जिनका दिल बिहार की हालत देखकर दुखी है.”
वैसे देखा जाए तो प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ में बीते कुछ सालों में कई बड़े नेता अलग-अलग दलों से आकर शामिल हुए हैं. पार्टी को मजबूती देने के लिए बिहार और देश के अलग-अलग इलाकों से नेताओं ने जन सुराज का दामन थामा है.
Text Purpose
1. आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह कभी जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. वो नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे. जब उन्होंने जेडीयू से दूरी बनाई तो अपनी पार्टी ‘आप सभी की आवाज़’ बनाई. लेकिन मई 2025 में उन्होंने अपनी पार्टी को जन सुराज में मिला दिया और खुद भी जन सुराज में शामिल हो गए.
2. उदय सिंह
पूर्णिया से दो बार भाजपा के सांसद रहे उदय सिंह बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे. लेकिन 2025 में उन्होंने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज का दामन थामा. खास बात यह है कि उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है.
3. मनोज भारती
मनोज भारती एक पूर्व आईएफएस (विदेश सेवा) अधिकारी हैं. उनके पास दो-दो IIT डिग्रियाँ हैं. वो पहले किसी राजनीतिक दल में नहीं थे. अब वे जन सुराज के कार्यकारी अध्यक्ष और बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं.
4. मोनाजिर हसन
बिहार की राजनीति के पुराने खिलाड़ी मोनाजिर हसन पहले जेडीयू और आरजेडी दोनों में मंत्री रह चुके हैं. 2024 में उन्होंने जन सुराज पार्टी का दामन थामा और एक बार फिर सियासत में सक्रिय हुए.
5. देवेंद्र प्रसाद यादव
देवेंद्र यादव आरजेडी के वरिष्ठ नेता रहे हैं और 1996 में केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं. उन्होंने भी प्रशांत किशोर की सोच से प्रभावित होकर जन सुराज पार्टी में शामिल होने का फैसला किया.
6. जागृति ठाकुर
जागृति ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री करपूरी ठाकुर की पोती हैं. उनका परिवार लंबे समय से जेडीयू से जुड़ा रहा है. उन्होंने भी नई राजनीति की बात करते हुए जन सुराज जॉइन किया.
7. अभिजीत सिंह (रंभाली सिंह चंद्रवंशी)
अभिजीत सिंह पहले आरजेडी से विधान परिषद सदस्य (MLC) थे, लेकिन सदस्यता रद्द हो गई. इसके बाद उन्होंने जन सुराज की ओर रुख किया और पार्टी में शामिल हो गए.
8. आनंद मिश्रा
आनंद मिश्रा एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं. वे पहले भाजपा से टिकट का इंतजार कर रहे थे और फिर चुनाव भी लड़ा. अब उन्होंने प्रशांत किशोर की पार्टी का हिस्सा बनकर राजनीति में नई शुरुआत की है.
9. पवन वर्मा
पवन वर्मा एक बड़े राजनयिक और जेडीयू के प्रवक्ता रह चुके हैं. बाद में वे तृणमूल कांग्रेस से भी जुड़े. अंत में उन्होंने जन सुराज में आकर अपनी राजनीतिक भूमिका तय की.
इन सभी नेताओं के शामिल होने से साफ है कि अब जन सुराज सिर्फ प्रशांत किशोर की जनजागरण यात्रा तक सीमित नहीं रही. यह पार्टी अब एक मजबूत राजनीतिक विकल्प के तौर पर उभर रही है. सबकी नजर अब इस पर है कि 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज कैसा प्रदर्शन करती है