बीबी जागीर कौर ने की स्पेशल सेशन बुलाने की मांग की, कहा- SGPC का फर्ज बनता है कौम की दुविधा हल करे
जो हमारे बुजुर्गों के खून से पैदा हुई है और इसे सिख पार्लियामेंट कहा जाता है
अगर कोई सियासी तौर पर दबाव बना रहा है तो प्रधान उनके दबाव में ना आए
बिक्रमजीत मजीठिया ने अगर कोई गलती की है तो उसे सजा मिलनी चाहिए
जालंधर :
जालंधर में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की पूर्व प्रधान बीबी जागीर ने प्रेस वार्ता की। जहां उन्होंने एसजीपीसी को लेकर कहा कि यह कौम की महान जत्थेबंदी है जो हमारे बुजुर्गों के खून से पैदा हुई है और इसे सिख पार्लियामेंट कहा जाता है। ऐसे में सिख पार्लियामेंट का फर्ज बनता है कि अगर कौम पर कोई दुविधा आ जाए तो वह बीच में बैठकर उसका हल करें। कौम को दोबारा से जोड़ने के लिए सभी आज इकट्ठा हुए है। हरियाणा कमेटी के लिए भी विशेष जनरल सेशन बुलाया था।
विशेष जनरल सेशन फिर से बुलाए
आज उनकी यही मांग है कि विशेष जनरल सेशन एक बार फिर से बुलाया जाए। अगर कोई सियासी तौर पर दबाव बना रहा है तो प्रधान उनके दबाव में ना आए और अपनी ड्यूटी को सही से निभाए। बीबी जागीर ने बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी को लेकर कहा कि अगर उसने कोई गलती की है तो उसे सजा मिलनी चाहिए, अगर विरोध में आकर कार्रवाई की गई है तो यह निंदनीय है।
प्रबंधक कमेटी का चुनाव भी जल्द
बीबी जागीर ने कहा कि 2 दिसंबर 2024 को श्री अकाल तख्त साहिब में फैसले सुनाए गए। इस दौरान लगा था कि शिरोमणि अकाली दल पार्टी भी इकट्ठी हो जाएगी और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का भी जल्द चुनाव हो जाएगा। लेकिन अफसोस है इसके बाद शिरोमणि अकाली दल के प्रधान ने इस्तीफा दे दिया और शिरोमणि अकाली दल के लीडर ने चैलेंज किया। श्री अकाल तख्त साहिब की मान मर्यादा को ठेस पहुंची, सिद्धांतक तौर पर काफी बड़ा नुकसान हुआ।
42 मेंबरों ने लिखकर मत्ता डाला
बीबी जागीर कौर ने कहा कि उसके बाद कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिसमें शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान की गैर हाजिरी में सीनियर मीत प्रधान की अगुवाई में बिना नियमों के गैर सिंद्धांतक ढंग से सिंह साहिबानों को हटा दिया गया। इस दौरान शिरोमणि अकाली दल कमेटी के 42 मेंबरों ने लिखकर मत्ता डाला कि इस मामले को लेकर विचार विर्मश किया जाए, जिसमें गैर नियमों से पास हुए मत्तों को रद्द किया जाए।
स्पेशल सेशन बुलाने की रखी मांग
बीबी जागीर कौर ने आरोप लगाए है कि शिरोमणि कमेटी के प्रधान नियमों को मानने की बजाय उन्हें जलील किया। नियमों के अनुसार एक्ट में लिखा हुआ है कि अगर मत्ते को माना ना जाए तो स्पेशल सेशन बुलाया जा सकता है। इसे बुलाने के लिए 3 माह का समय चाहिए होता है। उन्होंने कहा कि एक्ट के अनुसार 10 मेंबर इकट्ठे होकर स्पेशल सेशन बुलाने की मांग कर सकता है, जिसमें 30 मैंबरों का होना जरूरी होता है।